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March 23, 2024 at 1:32 pm #1930Up::2
जैसा कि ज्ञात है इस्लाम, ईसाई और पारसी धर्म का उद्भव भारत में न होकर मध्य पूर्व एशिया में हुआ है। बावजूद इसके भारत में आने के बाद इन धर्मों ने अपने अपने प्रभाव यहाँ की संस्कृति पर डालें है।
लेकिन जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म का उद्भव भारत में ही हुआ है। बहुत बार यह प्रश्न जहन में आता है कि क्या जैन , बौद्ध और सिख धर्म हिन्दू धर्म के ही एक भाग है अथवा हिन्दू धर्म की ही शाखा है। क्योंकि ज्ञात इतिहास में सभी धर्मों के उदय के समय का बान है किन्तु सनातन धर्म कितना पुराना है, इसकी स्थापना किसने की और कहाँ हुईं। ऐसे प्रश्न अभी तक अनुत्तरित है। साथ ही यह भी प्रश्न उठता है कि अगर सिख, बौद्ध और जैन धर्म अभी कुछ सैकड़ों या 3000 साल जितने पुराने है तो उससे पहले उनके संस्थापक कौन से धर्म में अवतरित हुए और उनके अनुयायी किस धर्म का पालन करते थे।
सिख धर्म की स्थापना आज से करीब 500 साल पहले हुईं, जिस समय भारत में मुस्लिम आक्रांताओं का बोलवाला था और इससे न सिर्फ हिन्दू बल्कि मुस्लिम भी परेशान थे। इसलिए गुरु नानक द्धारा शुरू इस पहल में दोनों धर्मों के लोग जुड़े। इसी कारण से सिख धर्म की परंपराओं और मान्यताओं में हमें दोनों धर्मों की झलक मिलती है।
क्योंकि सनातन धर्म में यह माना जाता है कि महावीर स्वामी और बौद्ध, भगवान् बिष्णु के ही अवतार थे। इसलिए सनातन धर्म और इन दोनों धर्मों में कुछ समानताएं देखने को मिलती है।
महात्मा बुद्ध
बुद्ध का जन्म लुंबिनी नामक स्थान पर इक्ष्वाकु वंश के राजा शुद्धोधन के यहाँ हुआ था। इनकी माता की मृत्यु इन्हें जन्म देने के कुछ दिन के भीतर हो गई। इनकी मौसी ने इनका लालन पालन किया। इनके पिता ने कभी भी इन्हें कोई भी दु:ख नहीं देखने दिया। उन्नतीस बर्ष की उम्र में पत्नी और एक बेटा सहित राजपाट छोड़कर वह दिव्य ज्ञान की खोज में निकल गयें। बहुत कठिन तपस्या के बाद इन्हें ज्ञान की प्राप्ति बोधगया में हुईं। यह महायान, हीनयान, थेरवाद जैसे समुदाय में बंटा हुआ है। सारनाथ, कुशीनगर,लुंबिनी, बोधगया प्रमुख तीर्थ है इसके।
महावीर स्वामी
महावीर स्वामी का जन्म कुंडलग्राम नामक जगह पर 540 ईपू में हुआ था। इनके पिता राजा सिद्धार्थ इक्ष्वाकु वंश के थे, माता लिच्छवि राजकुमारी त्रिशला थीं। कुछ लोग इनका जन्म अहल्या नामक जगह भी बताते हैं। 30 बर्ष की आयु में इन्होंने घर त्याग दिया। इनके विवाहित होने और परिवार होने पर विवाद है। जैन धर्म के लोग इन्हें पूर्णतः ब्रह्मचारी बतातें हैं। 42 बर्ष की उम्र में इन्हें कैवल्य की प्राप्ति हो गई।
जैन धर्म कितना पुराना है यह कहा नहीं जा सकता क्योंकि महावीर स्वामी इसके 24 वें तीर्थंकर थे यानी उससे पहले भी 23 और तीर्थंकर थे। और गहन इतिहास में 24 और पूर्व तीर्थंकर का भी जिक्र मिलता है। महावीर स्वामी को जैन धर्म का वास्तविक संस्थापक और ऋषभदेव का उत्तराधिकारी माना जाता है। जैन धर्म मुख्यतः श्वेतांबर और दिगंबर दो सम्रदाय में बंटा हुआ है।
हिन्दू, जैन और बौद्ध धर्म में समानताएं और विषमताएं
तीनों सभी धर्म बौद्ध धर्म, जैन धर्म और हिन्दू धर्म में कर्म और पुनर्जन्म जैसी मान्यताओं और सिद्धांतों के बारे में जानकारी मिलती है। सत्य और अहिंसा जैसे व्रतों का पालन करने की सलाह तीनों ही धर्म में दी गई है। तीनों परंपराओं में मठ की स्थापना का उल्लेख मिलता है।
हिंदू और बौद्ध दोनों ही एकसमान धार्मिक प्रथा ध्यान समाधि प्रोत्साहित करते हैं। दोनों धर्म कुछ भगवानों में आस्था रखते हैं लेकिन दोनों की मानने की प्रकृति अलग अलग है। जैसे गणेश, शंकर, सरस्वती, हरि, देवराज इंद्र और ब्रह्मा
हिन्दू और बौद्ध दोनों धर्मों में मंत्रों का बहुत महत्व है। कमल का फूल और योगाभ्यास, ध्यान का दोनों धर्म में समान महत्व है।
लेकिन साथ ही हिंदू धर्म का कोई वास्तविक संस्थापक नहीं है, लेकिन बौद्ध धर्म महात्मा बुद्ध द्वारा शुरू किया गया है। हिंदू धर्म मार्गदर्शन के लिए लिखित ग्रंथों और पुराणों की तरफ देखते हैं और बौद्ध बुद्ध के द्बारा दिये गये उपदेशों की ओर।
हिन्दू धर्म में जैसे गंगा को पवित्र नदी माना गया है। और स्थानीयता के आधार पर विभिन्न नदियों में स्नान और आरती होती है, जैन धर्म में इस तरह की कोई अवधारणा नहीं है।
हिन्दू और जैन धर्मावलंबी में अंतर करना काफी कठिन हैं। हिन्दू और जैन धर्म परस्पर एक दूसरे के ग्रंथों को मान्यता नहीं देते हैं।
चूंकि जैन धर्म में जीव अहिंसा का पुरजोर समर्थन मिलता है इसलिए हिन्दू धर्म में मौजूद पशु बलि की जैन लोग निंदा करते हैं।
लेकिन आत्मरक्षा के लिए किये गए प्रयासों की जैन धर्म में भी मनाही नहीं है।
अतः कहा जा सकता है कि हिन्दू धर्म का जैन और बौद्ध धर्म पर कुछ प्रभाव जरूर है। लेकिन उन समान मान्यताओं की प्रकृति अलग अलग है
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