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    AvatarPuneet Bansal
        • Sadhak (Devotee)
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        कैलासा या कैलाश पर्वत का नाम ध्यान में आते ही जो सबसे पहले ध्यान में आते हैं वो देवों के देव‌ महादेव भोलेनाथ हैं। हिंदू धर्म के शास्त्र पुराणों में कैलाश पर्वत को शिवजी का निवास स्थान बताया गया है। जहाँ वो माता उमा और अपने वाहन नंदी के साथ घोर तपस्या में लीन हैं। साथ ही उनके कुछ प्रमुख गण भी वहाँ उनके साथ मौजूद है।

        वर्तमान समय में कैलाश पर्वत चीन के स्वायत्त क्षेत्र तिब्बत में स्थित है। कैलाश पर्वत हिमालय पर्वतमाला का अंग है। हिमालय को वेदों में पर्वतराज कहा जाता है। हिमालय विश्व की सबसे नवीन पर्वत श्रेणी मानी जाती है।

        विज्ञान की खोजों के अनुसार वर्तमान में स्थित हिमालय के स्थान पर कभी यहाँ ‘टेथिस’ नामक समुद्र हुआ करता था। जिसके दोनों ओर विशाल भूखंड थे। भूखंडों में होने वालीं हलचलों के कारण वो भूखंड पास पास आते गयें और एक दिन टकरा गयें। टकराव के फलस्वरूप जमीन का कुछ हिस्सा उथल आया और वो ही हिमालय कहलाया। गोंडवाना लैंड और आंगललैंड के इस बार बार टकराव के कारण हिमालय की संरचना वलय युक्त है।

        कैलाश पर्वत न सिर्फ हिन्दू धर्म में एक अतिमहत्वपूर्ण तीर्थ है, बल्कि जैन धर्म, बौद्ध धर्म, चीन और तिब्बत के निवासियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थान है।कैलाश पर्वत उत्तरी ध्रुव से 6666 किमी और दक्षिणी ध्रुव से 6666 किमी की दुगनी दूरी पर स्थित है। इस कारण इसे धरती का अध्यात्म केंद्र भी माना जाता है।

        कैलाश पर्वत की ऊंचाई करीब 6638 मी. अनुमानित है जो कि माउंट एवरेस्ट सहित कई पर्वत से कम है। बावजूद इसके कोई भी मनुष्य आज तक इसके नजदीक भी नहीं पहुंच पाया है।

        कैलाश पर्वत दो तालाबों के मध्य स्थित है। एक है राक्षस ताल और दूसरा देवताल। राक्षस ताल नाम के अनुसार नकारात्मक ऊर्जा युक्त है जिसमें ना कोई जीव है ना आसपास वनस्पति।

        माना जाता है कि शिवजी को प्रसन्न करने रावण ने यही तपस्या की थी। इसमें स्नानादि भी वर्जित है।

        देवताल सकारात्मक ऊर्जा युक्त है और इसमें जीवन है , वनस्पति है। इसमें एक अलग तेज रोशनी है। विज्ञान भी यहाँ की नकारात्मक और सकारात्मक ऊर्जा को मान्यता देता है।

        यहाँ मानसरोवर झील भी है‌। इस झील का निर्माण भगवान् ब्रह्मा जी ने अपने मन से हंस के लिए किया था। यह झील भी हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखतीं है। प्राचीन समय से ही तीर्थ यात्रियों ने कैलाश मानसरोवर यात्रा की है।

        इतनी अलौकिकता और आध्यात्मिक उन्नत होने के बावजूद भी यह गूढ़ रहस्यों से भरा है। जो विज्ञान प्राचीन से प्राचीनतम‌ रहस्यों का पता लगा चुका है वो आजतक कैलाश के रहस्यों का पता नहीं लगा पाया है। बहुत सारे किये गए प्रयास विफल सिद्ब हुए हैं। कैलाश पर्वत को भूलोक और स्वर्ग लोक का प्रवेश द्वार कहा गया है। कैलाश पर्वत न धरती पर स्थित है और ना ही स्वर्ग में।

        लेकिन कैलाश पर्वत पर समय असामान्य रूप से तेज भागता है। वहाँ के नजदीक तक पहुंचने वालों के बाल नाखून जल्दी बढ़े, वो जल्दी बूढ़े हुए। कैलाश पर्वत अपने आकार में बार बार परिवर्तन करता रहता है। इसकी चढाई ढलान युक्त ना होकर सीधी खड़ी है। इस पर चढाई का कोई रास्ता ना पता होने के कारण खोजकर्ता मतिभ्रम में पड़ जातें हैं। नासा की सैटेलाइट तस्वीर में ॐ इसकी आकृति में दिखता है।

        मान्यताओं के अनुसार स्वयं शिवजी इसकी रक्षा कर रहे हैं। यहाँ के करीब पहुंचने वाले व्यक्ति यहाँ पर किसी दैवीय शक्ति होने का दावा करते हैं। कैलाश पर्वत न सिर्फ आसमान को छुता प्रतीत होता है, बल्कि इसमें भक्तों की आस्था इसे अनंत ऊंचाई वाला पूजनीय बनातीं है।

         

         

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