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April 7, 2024 at 10:51 pm #2010Up::1
अंक, संख्याएँ या नंबर हमेशा से ही महत्वपूर्ण रहे हैं। अंक और संख्याएँ ऐसे दो मूल ज्ञान है जिनका हमें रोज की दिनचर्या में कहीं न कहीं उपयोग तो पड़ता ही है।
हिन्दू धर्म में प्राचीन काल से ही ज्योतिष शास्त्र में अंको का काफी काम है। 0 से लेकर 9 तक के अंक आधारभूत है। हम बहुत बार देखते हैं कि जिन खोजों और गणनाओं पर विज्ञान बेतहाशा पैसा खर्च कर रहा है, बड़े बड़े उपकरण का निर्माण कर रहा है। हजारों साल पहले हिन्दू धर्म के विद्धान सिर्फ उन गणनाओं के आधार पर वो सारी बातें कह गये।
हिन्दू धर्म में 3,7,9,11,21, 16,14 और भी कुछ संख्याओं का बहुत महत्व है। बहुत सारी संख्याओं को शगुन की संख्या माना जाता है। अगर किसी की जन्मतिथि 21 है तो उसका मूलक 1+2= 3 माना जाता है।
108 ऐसी ही एक महत्वपूर्ण संख्या है। इसका हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्व है। 1+0+8 = 9 होता है और 9 से नवरात्रि, नवरत्न आदि का उल्लेख मिलता है।
हमारे देश भारत में लोगों में आपस में अभिवादन स्वरूप ‘राम राम’ बोलने की परंपरा है। लेकिन प्रश्न उठता है कि आखिर क्यों ऐसा बोला जाता है। राम मे पहला अक्षर ‘र’ हिन्दी वर्णमाला का 27 वां अक्षर है और ‘म’ 25 वां अक्षर है। र पर आ की मात्रा है, आ वर्णमाला का दूसरा अक्षर है। अतःएव एक राम का योग 27+2+25 =54 होता है। दो बार राम राम बोलने से 108 होता है। क्योंकि 108 वैदिक दृष्टि में पूरे ब्रह्म का मात्रिक गुणांक है। इसलिए ऐसा माना जाता है कि ‘राम राम’ बोलने से 1 माला पूरी होती है।
संस्कृत भाषा की वर्णमाला में भी 54 अक्षर होतें हैं। लेकिन क्योंकि संस्कृत भाषा में शब्द स्त्रीलिंग और पुल्लिंग दो तरह से शब्द लिखें जातें है। इसका योग भी 108 आता है। वेदों की भाषा संस्कत में है।
भगवान् बिष्णु के 108 नामों के बारे में शास्त्रों में बताया गया हैं। उनके सुदर्शन चक्र में भी 108 दांत निखलने रहते हैं
महादेव के मुख्य गणों की संख्या भी 108 है। पृथ्वी का व्यास आदित्य के व्यास से 108 गुना हैं। पृथ्वी और सूरज के मध्य दूरी सूर्य के व्यास का 108 गुणांक है। साथ ही धरती और मयंक के बीच दूरी चांद के व्यास से 108 गुना हैं।
वैदिक ज्योतिष में नवग्रह हैं और राशियाँ 12। इस तरह 9×12 = 108 हुआ। 27 नक्षत्र 4 दिशाओं में विद्यमान है और 27×4= 108
जप करने की माला में मनको की संख्या 108 होती है। माला पूरी करना विशेष पुण्य दायी है। हमारे शरीर में नाड़ियों की संख्या 108 है जिन्हें ऊर्जा रेखाएँ कहा जाता है।
भारत में 108 पवित्र स्थल मौजूद है। 108 आध्यात्मिक पूर्णता
बतलाता है। उपनिषदों की संख्या भी 108 है।
श्री यंत्र में मर्म केन्द्र होतें हैं। जहाँ तीन रेखाएँ मिलती है। इसमें 54 चौराहे होते है। प्रत्येक में एक स्त्री व पुरुष होतें हैं। 54×2=108
हिन्दू परंपरा में 108 ज्ञानमीमांसीय सिद्धांत है, नृत्य के 108 रुप है। बहुत बार ऐसा सुझाव मिलता है कि एक मंत्र का 108 बार जाप करो, 108 भगवान् की परिक्रमा करो और भी बहुत कुछ।
यह सब इसलिए कहा जाता है क्योंकि 108 हिन्दू धर्म में बहुत अधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
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